कमर दर्द का लखनऊ में इलाज By Dr. Ashish Jain

Dr. Ashish Jain is the Best Spine Specialist and Top Orthopedic Doctor in Lucknow whose clinic situated in Gomtinagar and Daliganj Lucknow. 

कमर दर्द का लखनऊ में इलाज

क्यों होता है कमर का दर्द ?
- सीधे न बैठना या चलना
- जोड़ों का घिस जाना
- किसी प्रकार की चोट लगने के कारण
- अधिक बोझ पीठ पर लादकर चलना
- रीढ़ की हड्डी का खिसक जाना
- अधिक मोटापा
- कमर में मोच आ जाना, खेलकूद या यात्रा करते समय बार-बार झटके लगना
- बहुत अधिक मानसिक दबाव, तनाव, चिन्ता और थकावट। इससे पीठ की पेशियों में तनाव
पैदा हो जता है जो कि पीठ दर्द का कारण बनता है
- व्यायाम की कमी के कारण
- ठीक ढंग से न सोना, फोम के गद्दे पर सोना व घंटों एक ही जगह बैठे रहना
- संतुलित भोजन के अभाव में
पीठ दर्द के लक्षण
- पीठ के नीचले हिस्से या कमर में लगातार हल्का-हल्का दर्द होना
- शरीर में बहुत अधिक अकड़न तथा दर्द होता है
- हल्की सी भी चोट लगने पर बहुत तेज दर्द होना
- रोगी के कमर के नीचे के भाग में एक समान दर्द वाली अवस्था बनी रहती है
आमतौर पर शारीरिक व्यायाम और सही मुद्रा का ध्यान रखकर पीठ दर्द की समस्या से
छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन पीठ दर्द से निपटने के लिए शरीर को उचित पोषण
मिलना भी जरूरी है। शारीरिक व्यायाम के साथ आहार का ध्यान रखना भी जरूरी है।
कैसे पाएं पीठ दर्द से छुटकारा
-हमेशा सीधे बैठना और चलना चाहिए
-आगे झुकने वाले आसन न करें और ज्यादा दर्द होने पर योग या व्यायाम न करें
-ज्यादा देर तक लगातार कुर्सी पर न बैठें। आधे-आधे घंटे के अंतराल पर उठकर थोड़ी देर
टहल लेना चाहिए।

-कोई वजनदार चीज न उठाएं। अगर कभी कुछ वजनदार चीज उठाएं भी तो घुटनों को
मोड़कर उठाएं ताकि कमर पर जोर न पड़े।
-अपने भोजन में अनाज, लौकी, तिल और हरी सब्जियों को शामिल करना फायदेमंद साबित
हो सकता है।
-इसके साथ ही विटामिन डी3 और विटामिन सी, कैल्सियम और फास्फोरस से भरपूर आहार
भी पीठ दर्द में लाभकारी होता है।
रोगी को ठोस बिस्तरे पर सोना चाहिए और उस अवस्था में बिल्कुल नहीं सोना चाहिए,
जिस अवस्था उसकी रीढ़ की हड्डी मुड़ी रहे। इसके अलावा कभी भी अपनी मर्जी से दर्द
निवारक दवाईयां न लें। लापरवाही न करते हुए तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
रीढ़ की हड्डी के 33 मनके होते है। रीढ़ की हड्डी के मनकों के बीच में डिस्क होती है जो खिस्क
जाए तो तकलीफ करती है। मनको के अंदर काफी समस्या होती है। इनमें इंफेक्शन, चेप
लगना, मनके टूट जाना ,मनकों का आगे-पीछे होना व हिलना, मनकों का दब जाना, मनकों
के बीच में जगह कम होना।
रीढ़ की हड्डी में क्या आती है दिक्कतें :-
पीठ व कमर में दर्द ,टांगों का सुन होना, टांगों में झनझनाहट होना, चलने में दिक्कत होना,
टांगों का चलना बंद होना, पेशाब रुक जाना। अगर कमर दर्द ठीक नहीं होता है और साथ में
बुखार या टांगों में दर्द है तो तुंरत स्पाइनल सर्जन को दिखाएं। अगर पैर या टांग का कोई भी
हिस्सा चलना बंद हो जाए तो तुरंत अस्पताल या रीढ़ की हड्डी के विशेषज्ञ को दिखाएं।
इलाज : अधिकतर लोग दवाओं, कसरत तथा गर्म सेक से आराम से ठीक हो सकते हैं और
कुछ लोगों को इंजेक्शन से ठीक किया जा सकता है। अगर उनसे ठीक न हो तो ऑपरेशन भी
किया जा सकता है। ऑपरेशन से लकवा होना या पैर हिलने बंद होना या पेशाब आना रुक
जाना, ये तमाम भ्रांतियां बेबुनियाद हैं।
यह अपनाएं सलाह
आगे झुक कर कोई काम न करें। भारी वजन बिल्कुल न उठाएं, कमर को स्पोर्ट देकर बैठें, दूध
व दूध से बने पदार्थ, विटामिन डी युक्त पदार्थो का सेवन करें।
कब होता है यह दर्द ?
गिरने के कारण, बढ़ती उम्र के कारण, अधिक वजन उठाने के कारण, गलत तरीके से बैठने के
कारण।

क्या गर्दन व बाजू के सारे दर्द सरवाइकल के हैं ?
नहीं, सरवाइकल एक विस्तृत बीमारी है। आम डॉक्टर के लिए सभी गर्दन व बाजू के दर्द
सरवाइकल हैं। लेकिन सबसे आम कारण मांसपेशियों में दर्द, कंधे का दर्द, कारपलटनल
सिंड्रोम जैसी वस्तुएं सरवाइकल के दर्द की तरह होती हैं।
एमआरआइ की रिपोर्ट में काफी कुछ लिखा होता है क्या इससे डरना चाहिए?
इलाज इंसान का होता है, एमआरआइ व एक्स-रे का नहीं होता है। जब तक मरीज की पूरी
जांच न हो तो इलाज नहीं हो सकता है।
रीढ़ की हड्डी के मनके दबे हुए है? पुनीत, हैबोवाल
उ. मनके दस-बारह तरह से टूटते हैं। मनकों के दबने का इलाज इंजेक्शन से संभव है।
प्र. स्पाइनल कोड में दर्द रहता है ? अरुण, 32 सेक्टर
उ. अगर एक सप्ताह से दर्द होती रही है तो तुंरत डॉक्टर को दिखाएं।
प्र.रीढ़ की हड्डी में मनकों के दबाव के कारण दर्द रहता है, राकेश कुमार, मुंडियां
उ.रीढ़ की हड्डी में जगह कम होने के कारण दर्द होता है, इसका दवाओं, इंजेक्शन व
एक्सरसाइज से इलाज संभव है।
प्र. बेटी की रीढ़ की हड्डी के तीन मनके दबने के कारण दर्द हैं? अंजू गोयल
उ. इसको कुब हो सकता है,आपकी बेटी को शुमरमैनस काइफोसिस भी हो सकता है।
कुबड़ेपन का इलाज ऑपरेशन है।
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गर्दन का दर्द, कन्धे का दर्द, पीठ का दर्द, टाँग का दर्द, एड़ी तथा पैर का दर्द
गर्दन का दर्द, (cervical Spondylosis), कन्धे का दर्द और जकड़न, बाजुओं की चेतनाशुन्यता,
कुहनी का दर्द, पीठ, कुन्हे, टाँगों एड़ियों तथा पैरों का दर्द, सलिप डिस्क तथा पैरों का लकवा
इत्यादि।
संसार के समस्त देशों में तीस़-पैंतीस वर्ष से ऊपर की आयु के अघिकांश स्त्री-पुरूषों को प्रायः
गर्दन, कन्धे, बाजू या पीठ में दर्द हो जाता है। एक सर्वेक्षण के अनुसार अमरीका तथा स्वीडन
जैसे विकसित देशों में लगभग 80 प्रतिशत लोग अपने जीवन काल में एक न एक बार अवश्य
पीठ दर्द से प्रभावित होते है। हमारे देश में भी कुछ वर्षो से रीढ की हड्डी से सम्बधित रोगियों
की संख्या मे काफी वृद्धि हो रही है। भारतवर्ष में 30 वर्ष की आयु के लगभग 10 से 15

प्रतिशत लोग प्रायः रीढ की हड्डी के रोगों से पीड़ित रहते हैं। इन रोगों  के उपचार से पहले
इनके कारण तथा लक्षण इत्यादि के बारे में जानना आवश्यक है।
रीढ की हड्डी का आकार
रीढ़ की हड्डी-मेरूदण्ड सिर के पिछले भाग खोपड़ी से शुरू होकर नितम्ब तक एक श्रृंखला के
रूप में जाती है। एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में रीढ की हड्डी की लम्बाई लगभग 60-70
सेंटीमीटर होती है और इसमें मोहरों जैसी 33 हड्डियाँ अलग-अलग तथा गति वाली तथा शेष
नौ आपस में मिलकर सैक्रम तथा कौक्सिक्स का भाग बनाती है। गर्दन के भाग में 7 वरट्रीबा,
पीठ के ऊपरी भाग में 12 वरट्रीबा और पीठ के बिल्कुल निचले भाग में नितम्ब वाले स्थान
पर 5 सैक्रम की तथा 4 कोक्सिजियल हड्डियाँ होती है। रीढ की हड्डी सीढी नही होती अपितु
इसमें चार वक्र होते है।
रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का मुख्य आधार है। सिर की हड्डियाँ का सारा बोझ इसी के सहारे
टिका होता है। वक्षस्थल कि पिंजर की सारी पसलियां जो गिनती में 12 जोड़ है, रीढ़ की
हड्डी के थोरेसक वरट्रीबा से जुड़ी होती है। रीढ़ की हड्डी को लचक प्रदान करती है। इसी के
कारण हम दाएँ, बाएँ नीचे आसानी से झुक सकते है, ऊपर की ओर सिर उठाकर देख सकते
है। और प्रत्येक कार्य को गति के साथ कर सकते है। इसके अतिक्ति केन्द्रीय वात संस्थान का
मुख्य भाग मेरूरज्जु रीढ की हड्डी में ही स्थित होता है।
मेरूरज्जु से थोडी-थोडी दूरी पर 31 वातनाड़ियों के जोडे निकलते है। वात संस्थान शरीर में
समस्त संस्थानों एवं अंगो का नियन्त्रण करता है। पीठ की सारी मांसपेशियों का ताना-बाना
भी रीढ की हड्डी के सहारे ही बुना हुआ और ठहरा हुआ हैं। कमर दर्द का लखनऊ में इलाज 
यहाँ पर समझ लेना भी आवश्यक हैं कि यदि रीढ़ की हड्डी या मेरूरज्जु में काफी समय से
कोई विकार हो तो उस भाग से सम्बंधित शरीर के अंगो में कोई विकार आ सकता है। ये
भाग मुख्यतः रीढ़ की हड्डी तथा मेरूरज्जु के समानान्तर ही गर्दन तथा पेट में स्थित होते हैं।
गर्दन कंधे तथा पीठ में दर्द के प्रमुख कारण 
गर्दन कन्धे तथा पीठ तथा टाँगो में दर्द के निम्न कारण हो सकते हैः

 यह रोग उन लोगों को अघिक होता है जो सारा-दिन बैठकर पढने-लिखने, सिलाई,
बुनाई, कशीदाकारी या कोई ऐसा काम करते है, जिसमें गर्दन तथा कमर प्रायः झुकी
रहती है। जो स्त्रियाँ बिना आराम किये घंटों भर झुककर घर का कामकाज करती है
तथा शारीरिक शक्ति से अधिक काम करती है, वे इन रोगों से अवश्य पीड़ित होती है।

वजन बढ़ने से भी ये रोग हो जाते है क्योकि इससे रीढ़ की हड्डी पर अधिक बोझ पड़
जाता है जिसे हड्डियाँ तथा मांसपेशियाँ सहन नही कर पाती। डाक्टरो का विचार है
कि अगर आपका वजन वांछित वजन से 25 किलो अधिक है तो इसका अभिप्राय है
कि आप दिन-रात 25 किलो या अतिरिक्त बोझ उठाए रखते है।
 ये रोग उन लोगों को भी हो सकते है जिन्हे गठिया- अस्थिसन्धि-शोथ होता है या
फिर जिन लोगो की हड्डियाँ कमजोर पड़ जाती है। कई व्यक्तियों की मांसपेशियों की
परस्पर पकड़ भी ढीली पड़ जाती है। कमर दर्द का लखनऊ में इलाज 
 जो लोग सैर या व्यायाम बिल्कुल नही करते तथा सारा दिन कुछ न कुछ खाते रहते
है। पेट में अधिक गैस बनने से भी प्रायः अधिक कष्टजनक हो जाते है।
 संतुलित भोजन न लेना, भोजन मे पूरी मात्रा में खनिज तथा विटामिन, खास कर
विटामिन डी (सुबह की धूप) न लेना अधिक मात्रा में चीनी तथा बहुत मिठाइयां
खाना इत्यादि।
 टेढे-मेढे हो कर सोना, हमेशा ढीली चारपाई या लचकदार बिछौना पर सोना,
आरामदेह सोफों तथा गद्देदार कुर्सी पर घंटों भर बैठे रहना, ऊँचा सिरहाना तकिया
लेना तथा टेढा मेढा होकर बैठना भी इन रोगों का एक मुख्य कारण है।
 जो स्त्रियाँ ऊँची ऐड़ी वाले जूते डालती है उन्हें भी प्रायः कमर एवं एड़ियों का दर्द हो
जाता हैं।
 कई व्यक्तियो की रीढ़ की हड्डी में जन्म से भी कोई विकार होता है, दुर्घटना के समय
रीढ़ की हड्डी पर चोट लगने या दबाब पड़ने के कारण उसी समय से या फिर कुछ
दिनों, महीनों या वर्षो बाद ऐसे दर्द शुरू हो जाते है।
 गलत ढंग से बैठ कर कोई वाहन चलाने से भी गर्दन तथा कमर का दर्द हो जाता है।
 अशांति, चिन्ता, निराशा, भय तथा सदमा इन रोगों के प्रमुख कारण है।
 स्त्रियों को प्रसव तथा लगातार कई प्रसवो के कारण भी ये रोग हो जाते है।
पीठ की मांसपेशियों के दर्द के कई अन्य कारण भी हो सकते है जैसे लगातार बीमारी के
कारण कमजोर होना, चोट लगना, ठंड लगना, रक्त संचार ठीक न होना, शरीर की शक्ति से
अधिक काम करना, पूरा आराम तथा पूरी निंद्रा न करना, अधिक बोझ उठाना, गलत ढंग से
बोझ उठाना या व्यायाम करते समय मांसपेशियों पर अधिक जोर पड़ जाना इत्यादि।
गर्दन तथा पीठ र्दद के कइ्र्र्र लक्षण है। ये अनेक रोगियों मे एक दूसरे से मिलते जुलते तथा
एक दूसरे से भिन्न भी हो सकते हैं। इन रोगों में पीडा बिना रूके लगातार हो सकती है।

कईयों को ऐसी पीडा केवल कामकाज करते समय तथा चलते - फिरते होती है। कइयो को
उठते - बैठते, लटने,झुकने,करवट लेने,दायें-बायें धुमने,बाजू आगे,पीछे या ऊपर करते समय
या कोई वस्तु उठाते समय होती है। पीडा किसी एक स्थान पर बनी रहती है। या फिर रीढ
की हडडी के एक सिरे से दूसरे सिरे तक चलती रहती है। इस प्रकार पीडा पीठ के किसी एक
भाग से दूसरे भाग मे पहुँच जाती है। कभी ऐसा होता है।कि पीडा तीव्र होती है और रोगी
चिल्लाना शुरू कर देता है। और कभी कँाटों की चुभन जैसी प्रतीत होती है। सामान्यतः दर्द
गर्दन के पास,पीठ के मघ्य मे या पीठ के बिल्कुल निचले भाग मे होता है जहँा से प्रायः
किसी एक टाँग या दोनो टाँगों या दोनो टाँगों में पँहुच जाता है। टाँग का दर्द प्रायः टाँग के
बाहरी तरफ नाड़ी मे प्रतीत होता है। कई रोगियों के एक पैर या दोनों पैरों  का अँगूठा, एक
या एक से अधिक अँगुलियों, एक पैर या दोनों पैरो का ऊपरी या नीचे सारा या कुछ भाग
प्रायः सुन्न सा हो जाता है। टाँग में होने वाले दर्द को शियाटिका कहा जाता  है।
प्रायः यह देखा गया है कि जिन रोगियों को गर्दन के पास या पीठ के ऊपरी भाग मे दर्द होता
है उनके एक या दोनों बाजुओं मे भी दर्द होता है क्योंकि पीठ का ऊपरी भाग तथा बाजुओं
की मांसपेशियाँ परस्पर सम्बंधित होती है। गर्दन का दर्द प्रायः मानसिक अशांति और
मांसपेशियाँ की कमजोरी, किसी एक या दोनो के कारण भी हो सकता  है।
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